Ashadha Gupt Navratri 2026: हिंदू धर्म में गुप्त नवरात्रि का विशेष महत्व है। आषाढ़ मास में मनाई जाने वाली नवरात्रि को असाढ़ गुप्त नवरात्रि कहते है। जिसकी सुरुआत आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है धार्मिक मान्यता के अनुसार आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के दौरान जो लोग पूरे विधि-विधान और नियमों से व्रत रखता है। और पूरे 9 दिनो तक माता दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा अर्चना करता है। तो माता रानी की कृपा से उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
धार्मिक मान्यता के अनुसार गुप्त नवरात्रि में नौ दिनों में 10 महाविद्याओं की पूजा-अर्चना करने का विधान है। हिंदी पंचांग के अनुसार, साल में 4 चार बार नवरात्रि पड़ती है जिसमें 2 गुप्त नवरात्रि मनाई जाती है। और एक माघ मास में मनाई जाती है। तो दूसरी आषाढ़ मास में मनाई जाती है। इसके साथ ही दो और नवरात्रि मनाई जाती है। जो शारदीय नवरात्रि और दूसरी चैत्र नवरात्रि कहलाती है।
ऐसी मान्यता है की गुप्त नवरात्रि में पूजा पाठ करने से व्यक्ति को हर तरह के दुख-दर्द से छुटकारा मिलता है। इसके साथ ही सभी मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। गुप्त नवरात्रि की पूजा सभी तांत्रिक अपनी तंत्र विद्या को सिद्ध करने के लिए गुप्त नवरात्रि की पूजा पाठ करते है। धार्मिक मान्यता है कि गुप्त नवरात्री की पूजा पाठ शक्ति पाने के उद्देश्य के लिए किया जाता जाता है।
आइये जानते है साल 2026 में आषाढ़ मास में पड़ने वाली गुप्त नवरात्री कब है? जानिए सही दिन व तारीख, पूजा का शुभ मुहूर्त कब है, और पूजा विधि क्या है, और गुप्त नवराति के दिन किये जाने वाले उपाय
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2026 में कब है
Ashadha Gupt Navratri 2026 Date Time: हिंदी पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवरात्रि शुरू होती है। इसलिए साल 2026 में आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का प्रारम्भ 15 जुलाई से होगा। और इसका समापन 23 जुलाई को होगा।
प्रतिपदा तिथि आरभ – 14 जुलाई 2026 सायंकाल 03 बजकर 12 मिनट
प्रतिपदा तिथि समाप्त – 15 जुलाई 2026 प्रातःकाल 11 बजकर 50 मिनट
घटस्थापना का शुभ मुहूर्त – 15 जुलाई 2026 प्रात:काल 05 बजकर 33
मिनट से 10 बजकर 09 मिनट पर
और 21 जुलाई 2026 को दुर्गा अष्टमी मनाई जाएगी
और 22 जुलाई 2026 को दुर्गा नवमी मनाई जाएगी
और 23 जुलाई 2026 को नवरात्रि पारण किया जाएगा।
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि पूजा विधि
Ashadha Gupt Navratri 2026 Puja Vidhi: गुप्त नवरात्री के दिन केवल एक ही बार शुद्ध साकाहारी या मौसमी फलो का सेवन करना चाहिए। धार्मिक मान्यता के अनुसार आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि के दिन माता दुर्गा की पूजा करने से पहले स्नान आदि करके साफ व शुद्ध कपड़े पहनकर ले इसके बाद व्रत का संकल्प ले।
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और फिर शुभ मुहूर्त में पवित्र स्थान पर माता दुर्गा की मूर्ति या चित्र को एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उसपर स्थापित कर दे। और उस मुर्ती या चित्र को गंगा जल से पवित्र करे ले। इसके बाद माता दुर्गा की पूरे विधि-विधान से पूजा शुरू करे। लेकिन पूजा शुरू करने से पहले मिट्टी के पात्र में जौ के बीज बो दें।
इसके बाद माता की पूजा के लिए कलश स्थापित करें और अखंड ज्योति जलाकर दुर्गा सप्तशती का पाठ करे। और उनके मंत्रों का पूरी श्रद्धा के साथ जप करें। फिर कलश की स्थापना करें।
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि कलश स्थापना विधि
Gupt Navratri Kalash Sthapana Vidhi: किसी भी पूजा पाठ में कलश स्थापना करने का विशेष महत्व होता है। कलश स्थापना करने से उसमे सभी देवी देवताओं का वास हो जाता है। धार्मिक ग्रन्थों में बतलाया गया है कि कलश स्थापना करने से भगवान विष्णु अति प्रसन्न होते है। और अपने भक्तों की सभी मनोकामना पूरी करते है। क्योकि कलश में भगवान विष्णु निवास करते हैं।
आप को बतादे की गुप्त नवरात्रि के पहले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करके साफ या नए कपड़े पहनकर ओज स्थल को साफ करे। फिर पूजा स्थल को माला-फूल से सजाकर एक मिट्टी या फिर तांबें के लोटे में पानी भरकर रख दे। और उस कलश में 1 रुपये का सिक्का या आप जितना चाहे उतना डाल दे।
इसके बाद कलश में आम के पत्ते डालकर उसपर से चावल रखकर उसमे दिया जला दे। इसके बाद कलश पर स्वातिक का चिन्ह बनाकर कलश में कच्चा सुत बांध दे। इसके बाद पूजा स्थल पर माता दुर्गा की मूर्ति या फिर फ़ोटो स्थापित करे। और सभी देवी देवताओ का आह्वान करे। फिर दुर्गा की आरती करके पूजा समाप्त करे।