Pongal 2025: पोंगल दक्षिण भारत का एक प्रमुख पर्व है। यह पर्व फसल कटाई और आने वाली फसल की बुआई के प्रतीक के रुप मे मनाया जाता है। और यहनपर्व मुख्य रूप से 03 या चार दिनों तक चलता है। इस पर्व को परिवार के सभी लोग एक साथ मिलकर मनाते है। पोंगल मुख्य रूप से दक्षिण भारत के प्रमुख राज्य जैसे केरल तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश आदि राज्यो में मनाए जाने वाला एक हिन्दुओ का प्रमुख त्योहार है। जिस तरह उत्तर भारत मे भगवान सूर्य देव को उत्तरायण होने की खुशी में मकरसंक्रांति का पर्व माया जाता है। ठीक उसी प्रकार दक्षिण भारत मे पोंगल का त्योहार मनाया जाता है। और भगवान इंद्र देव की पूजा आराधना की जाती है।
पोंगल का त्योहार सुख और सम्पन्नता का प्रतीक माना जाता है यह पर्व मुख्य रूप से धन, वर्षा और कृषि से सम्बंधित चीजो की पूजा अर्चना की जाती है। जिस तरह उत्तर भारत में मकरसंक्रांति का पर्व मनाया जाता है ठीक उसी तरह दक्षिण भारत मे लोहड़ी, अथवा पोंगल पर्व मनाया जाता है। पोंगल पर्व की किसान बड़ी ही धूमधाम के मनाते है। इस पर्व का इतिहास कई हजारों साल पुराना है। आइये जानते है साल 2025 में पोंगल कब और क्यो मनाया जाएगा 14 या 15 जनवरी, जानिए सही दिन तारीख और क्या है इसका महत्व
पोंगल क्यो मनाया जाता है और इसकी सुरुआत कैसे हुई?
पोंगल आस्था और सम्पन्नता से जुड़ा एक पर्व माना जाता है। जिसमे समृद्धि लाने के लिए वृष और धूप की आराधना की जाती है। इस पर्व को भर के अलावा ऐसे श्रीलंका, मोरिशस, कनाडा, अमेरिका और सिंगापुर में भी बड़ी ही धूम धाम के साथ मनाया जाता है।
पोंगल का महत्व इसलिए भी है कि यह तमिल महीने की पहली तारीख को आरम्भ होता है। पोंगल का तमिल में अर्थ है उफान या फिर विपलब पोंगल के दिन जो भगवान सूर्यदेव को भोग लगाया जाता है। वह बगल कहलाता है। और तमिल भाषा मे इसका मतलब है उबालना, चावल दूध, घी ,शक्कर को एक साथ उबालकर भोजन तैयार करके भगवान सूर्यदेव को भोग लगाना
पोंगल पर्व के पहले दिन कूड़ा, कचरा , जलाया जाता है और पोंगल पर्व के दूसरे दिन माता लक्ष्मी की पूजा उपासना की जाती है।और पोंगल पर्व के तीसरे दिन पशुधन की पूजा की जाती है। मान्यता है कि यह पर्व भारत मे अग्रेजी कैलेंडर के अनुसार जनवरी या फरवरी के के महीने में मनाया जाता है। जबकि तमिल कैलेंडर के अनुसार पहली तारीख को मनाया जाता है। मान्यता है कि आज के दिन से तमिल नव वर्ष की शुरुआत भी हो जाती है। इस पर्व के उपलक्य में जली कटी का आयोजन भी किया जाता है।
तमिल कथा के अनुसार
तमिल मान्यताओं के अनुसार यह कथा भगवान शिव से सम्बन्धित है। मट्टू भगवान शिवशंकर का वैल है। जिसे एक भूल के कारण भगवान शिव जी ने पृथ्वी पर भेज दिया और कहा कि वह मानव जाति के लिए अन्न पैदा करे। तब से मट्टू पृथ्वी पर रहकर कृषि कार्य सहायता कर रहा है। इस दिन किसान आने बैलों को स्नान कराकर उनकी सिंघो को में तेल लगाते है। और अन्न प्रकार से बैलों को सजाते है और फिर उनकी पूजा करते है। इसके अलावा इसदिन गाय और उनके बछड़े की भी पूजा की जाती है।
पोंगल मनाने की विधि Pongal Puja Vidhi 2025
दक्षिण भारत मे पोंगल से ही तमिल नववर्ष का आरम्भ हो जाता है। इस दौरान यहां के लोग अपने अपने घरों को आम के पत्ते या तोरण के पत्ते से अपने अपने घरों को सजाते है। और घर के मुख्य द्वार पर रंगों से रंगीली बनाते है और नए वस्त्र आदि पहनकर एक दूसरे के घर पोंगल और मिठाई बाटते है। और रात्रि होने पर तमिल लोग एक जगह एकत्रित होकर भोजन करते है और एक दूसरे से गले मिलकर नव वर्ष की मंगलकामनाएं देते है।
पोंगल 2025 में कब है Pongal 2025 Date
अब आप को बतादे की जनवरी 2025 में पोंगल पर्व कब मनाया जाएगा तो आप को बतादे की साल 2025 में पोंगल 14 जनवरी दिन मंगलवार को मनाया जाएगा।
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