Chaturmas 2025: चातुर्मास 2025 कब से कब तक रहेगा, जानिए इस दौरान क्या करे क्या ना करे

चातुर्मास का महत्व –

Chaturmas 2025: शास्त्रो में चातुर्मास का विशेष महत्व होता है। हिंदी पंचांग के अनुसार हर वर्ष आषाढ़ मास के शुक्लपक्ष की देवशयनी एकादशी को भगवान विष्णु क्षीर सागर में विश्राम के लिए जाते हैं। और कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की देवउठनी एकादशी को जागते हैं। इसलिए भगवान विष्ण के शयन काल के ये 4 महीने चातुर्मास कहलाता है।

धार्मिक मान्यता है कि देवशयनी एकादशी से ही चातर्मास शुरू होता है। लेकिन चातुर्मास के दौरान कोई भी मांगलिक कार्य जैसे- विवाह, सगाई, मुंडन संस्कार आदि नहीं किया जाता है। बल्कि पूरे चातुर्मास में पूजा-पाठ, भजन कीर्तन, करना शुभ होता है। ऐसी मान्यता है कि चाुर्मास में सष्टि का संचालन भगवान शिव जी करते हैं। आइये जानते है साल 2025 में चुर्मास कब से कब तक रहेगा। इस दिन क्या करना चाहिए और क्या नही करना चाहिए।

चातुर्मास में क्या करें –

Chaturmas 2025 Kya Karen: धार्मिक मान्यता है कि चतुर्मास के दौरान इन चार माह में प्रतिदिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि करके भगवान विष्णुजी पूजा करनी चाहिए।

  • ऐसी मान्यता है कि इसमे सावन मास भगवान शिव जी के पूजा के लिए विशेष माना जाता है। इसलिए चातुर्मास में अपना ज्यादा से ज्यादा समय भक्ति भजन में विताना चाहिए इसके अलावा पूरे चातुर्मास भगवन विष्णु के साथ साथ भगवान शिव जी की पूजा पाठ करना चाहिए। पूजा पाठ, व्रत, उपवास आदि करने का विशेष महत्व होता है।
  • ऐसी मान्यता है कि चातुर्मास के दौरान भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा करके विष्णु सहसनाम और शिव चालीसा का पाठ करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।

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  • चातुर्मास के दौरान थाली में नही बल्कि पत्तल में भोजन करना चाहिए। और पूरे चातुर्मास दीपदान करना, वस्त्र दान करना, अन्न दान करना शुभ माना जाता है। शास्त्रो के अनुसार चातुर्मास के दौरान ब्रम्हचर्य का पालन करना चाहिए।
  • और चातुर्मास के दौरान पूरे चार महीने पीपल का पेड़ लगाना शुभ माना जाता है। क्योंकि पीपल के पेड़ में भगवान विष्णु का निवास स्थान होता है। ऐसी मान्यता है कि चातुर्मास दौरान प्रत्येक दिन शाम को संध्या आरती जरूर करना चाहिए।
  • और इसके साथ नया जनेऊ धारण करना चाहिए। इसके अलावा चातुर्मास के दौरान भगवान विष्णु, भगवान महादेव के अतिरिक्त माता लक्ष्मी, माता पार्वती, भगवान गणेश जी, राधाकृष्ण और पितृ देव आदि का पूजन करना चाहिए।
  • और चातुर्मास के दौरान भगवान विष्णु के मंत्र ओम नमो भगवते वासुदेवाय और भगवान शिव जी के पंचाक्षरी मंत्र ओम नम: शिवाय का जाप करे। और अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए भगवान विष्णु और भगवान शिव जी से विनती करे।

चातुर्मास में क्या ना करे –

Chaturmas 2025 Kya Na Karen: हिंदू वार्षिक पंचांग के अनुसार चातुर्मास आषाढ़ महीने की देवशयनी एकादशी से प्रारंभ होता है। और इसका समापन कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की प्रबोधिनी एकादशी को होता है। इसे में चातुर्मास के दौरान कुछ ऐसे कार्य है जो हमे भूलकर भी नही करना चाहिए जैसे-

  • शास्त्रों के अनुसार चतुर्मास के दौरान इन 4 महीनो में कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य जैसे- विवाह, मुंडन या गृहप्रवेश नहीं करना चाहिए।
  • और नाही हरी पत्तेदार सब्जियां, दाल, दही, दूध आदि का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए।
  • और नाही तामसिक भोजन जैसे लहसुन, प्याज मांस, मछली नही खाना चाहिए
  • और नाही शराब पीना चाहिए। चातुर्मास के पूरे महीने में तेल, बैगन, शहद, मूली, परवल, गुड़ आदि खाद्य पदार्थ का सेवन नही करना चाहिए।
  • और दाढ़ी मुछ नही कटवाना चाहिए।
  • और चातुर्मास के दौरान बेड या चारपाई पर नही सोना चाहिये। बल्कि जमीन पर सोना चाहिए।
  • चातुर्मास के दौरान भूलकर भी तांबे के बर्तन में भोजन नही करना चाहिए।
  • ऐसा करने से तमाम तरह की परेशानी आने लगती है।

चातुर्मास 2025 में कब शुरू और कब समाप्त –

Chaturmas 2025 Start Date: हिंदू पंचांग के अनुसार देवशयनी एकादशी से चातर्मास का प्रारंभ होता है। आइये जानते है साल 2025 में देवशयनी एकादशी 06 जुलाई दिन रविवार को मनाई जाएगी। इसलिए देवउठनी एकादशी को चतुर्मास समाप्त होगा। और यह देवउठनी एकादशी 02 नवम्बर दिन रविवार को है। इसलिए साल 2025 में 06 जुलाई 2025 दिन रविवार से चातुर्मास शुरू होकर 02 नवंबर 2025 दिन रविवार को इसका समापन होगा।

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