Lohri 2030: कब है लोहड़ी और मकर संक्रांति, नोट करले, सही डेट

Lohri 2030: हिंदी पंचांग के अनुसार लोहड़ी का पर्व हर वर्ष मकर सक्रांति से एक दिन पहले यानी पौष माह के अंतिम तिथि के दिन सूर्यास्त के बाद लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है। जिसे लाल लोई के नाम से भी जाना जाता है। लोहड़ी पर्व के दिन अग्नि जलाकर उसकी पूजा करने का विधान है। धार्मिक मान्यता है कि लोहड़ी के दिन भगवान सूर्यदेव और लोहड़ी माता का पूजा अर्चना करने से घर मे सुख समृद्धि आती है। और घर मे आमदनी का स्रोत बढ़ता है।

लोहड़ी के दिन इस मंत्र: ॐ सती शाम्भवी शिवप्रिये स्वाहा॥ ॐ सर्व मङ्गल माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।। का जाप करने से जीवन में चल रही सभी परेशानिया दूर होती है। लोहड़ी भारत का एक प्रसिद्ध त्योहार है, इस पर्व को हिन्दू धर्म के लोग पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाते है। लेकिन यह पर्व मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा राज्य का प्रसिद्ध त्योहार है। इस दिन किसान वर्ग अच्छी फसल की पैदावार होने के लिए भगवान से प्रार्थना करते है। ताकि उनकी फसल की अच्छी पैदावार हो सके।

तो कुछ जगहों पर मकर संक्रांति से एक दिन पूर्व भोगी मनाया जाता है। इस दिन लोग पुरानी चीज़ों को बदलते हैं। और प्रयोग में नही आने वाली चीजो को जलाकर सुद्धि करण करते है। लेकिन इसमें धातु की चीज़ों का दहन नहीं किया जाता है। और अपने सभी बुरे कर्मो का त्याग करते हैं। इसलिए यह पर्व आत्मा के बदलाव एवं उसके शुद्धिकरण का प्रतीक माना जाता है। आईये जानते है साल 2030 में लोहड़ी (Lohri) और मकरसंक्रांति कब है ? जाने सही दिन व तारीख, पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि व महत्व, और इस दिन क्या करे क्या ना करें ?

लोहड़ी (मकरसंक्रांति) 2030 में कब है? Lohri 2030 Date

व्रत त्यौहारव्रत त्यौहार समय
लोहड़ी पर्व13 जनवरी 2030, दिन रविवार
मकरसंक्रांति पर्व14 जनवरी 2030, दिन सोमवार

लोहड़ी पूजन विधि Lohri Pujan Vidhi

लोहड़ी के दिन सुबह जल्दी उठकर नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नान आदि आदि करके नए वस्त्र पहनकर साफ-सुथरे खुले स्थान पर लकड़ी और सूखे उपलों को एक स्थान पर रखकर होलिका में आग जलाना चाहिए।

इसके बाद भगवान सूर्य देव को जल का अर्ध्‍य और लोहड़ी lohri देवी को याद करे, इसके बाद जलती हुई आग में रेवड़ी, सूखे मेवे, मूंगफली, गजक आदि अर्पित करें।

इसके बाद इस पवित्र अग्नि की 7 बार परिक्रमा करें। फिर होलिका में आग लगाकर डोल, नगाड़े, बजाकर नाचते गाते है। और एक दूसरे के गले मिलते है लोहड़ी की बधाईया देते है।

लोहड़ी (Lohdi) पर ये 3 काम जरूर करे

धार्मिक मान्यता है कि लोहड़ी पर्व के दिन भगवान अग्नि देव, भगवान सूर्य देव, और माता लोहड़ी देवी की पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना करके यह 3 काम जरूर करना चाहिए।

ऐसी मान्यता है कि लोहड़ी के दिन लाल कपड़े में गेहूं बाधकर किसी गरीब या जरूरत मन्द लोगो को दान करने से माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। ऐसी मान्यता है कि लोहड़ी के दिन भगवान अग्नि देव और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। और में आने वाला अंधकार दूर होता है। और बल, बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है।

ऐसी मान्यता है कि लोहड़ी Lohri के दिन जो भी लोग घर के पच्छिम दिशा में काले कपड़े पर महादेवी की प्रतिमा रखकर यदि प्रतिमा ना मिले तो कपड़े पर ही महादेवी की प्रतिमा बनाकर उनके सामने सरसो के तेल का दिया जलाये। फिर धूपबत्ती, सिंदूर बेलपत्र आदि पूजा सामग्री आदि अर्पित करे। ऐसा करने से घर की सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा। और सुख समृद्धि का वास होगा। और भूत, प्रेत, जैसी बाधा दूर होगी।

लोहड़ी क्या है What is Lohri?

मान्यता है कि लोहड़ी पर्व के दौरान बच्चे घर-घर जाकर लोक गीत गाते बजाते हैं। ऐसा माना जाता है कि आज के दिन घर आये बच्चों को खाली हाथ नही लौटाना चाहिए। बल्कि उन्हें इस दिन चीनी, गजक, गुड़, मूँगफली एवं मक्का आदि भेट के रुप में देना चाहिए जिसे लोहड़ी कहा जाता है।

Lohri की शाम को लोग आग जलाकर लोहड़ी को सभी में वितरित करते हैं और साथ में संगीत आदि के साथ त्यौहार का लुत्फ़ उठाते हैं। रात में सरसों का साग और मक्के की रोटी के साथ खीर जैसे सांस्कृतिक भोजन को खाकर लोहड़ी की रात का आनंद लिया जाता है। पंजाब के कुछ भाग में इस दिन पतंगें भी उड़ाने का प्रचलन है।

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