Margashirsha Purnima 2026: हिन्दू धर्म मे पुर्णिमा तिथि का विशेष महत्व होता है। हिंदी कैलेंडर के अनुसार प्रत्येक वर्ष मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मार्गशीर्ष पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। और इस पुर्णिमा को अगहन पुर्णिमा, बत्तीसी पूर्णिमा या कोरला पूर्णिमा के नाम से भी जाना है। ऐसी मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु संग माता लक्ष्मी की विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है।
और भगवान विष्णु जी के साथ माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके अलावा कार्तिक पुर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण की व्रत कथा पढ़ना या सुनना व स्नान-दान करना भी बहुत ही शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि मार्गशीर्ष माह से ही सतयुग काल का आरम्भ भी हुआ था। इसलिए मार्गशीर्ष मास में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने जितना फल की प्राप्ति हरिद्वार, बनारस, माथुर और प्रयागराज जैसी पवित्र नदियों में केवल स्नान करने मात्र से मिलता है।
और सभी सुखों की प्राप्ति होती है। मार्गशीर्ष मास को दान-धर्म और भक्ति का महीना माना जाता है। यह पुर्णिमा और पुर्णिमा की तुलना में बत्तीस गुना ज्यादा प्राप्त होती है। आईये जानते है साल 2026 में मार्गशीर्ष पुर्णिमा (Margashirsha Purnima ) कब है ? 23 या 24 दिसम्बर जाने स्नान दान का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इस दिन किये जाने वाले उपाय –
मार्गशीर्ष पुर्णिमा पूजा विधि
Margashirsha Purnima Puja Vidhi: मार्गशीर्ष पुर्णिमा के दिन व्रत प्रातःकाल जल्दी उठकर भगवान विष्णु का ध्यान करें और स्नान आदि करके साफ वस्त्र पहनकर भगवान सूर्यदेव को जल का अर्घ दे और पूरे दिन निर्जला व्रत का संकल्प लें। इसके बाद पूजा स्थल पर एक साफ लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी जी की प्रतिमा को पंचामृत से स्रान कराकर स्थापित करे और चौकी के दोनों ओर केले के पत्ते लगाकर धुप- दीप जलाये।
इसके बाद तिलक करके पीले फल-फूल, पंचामृत, केले और हलवे का भोग लगाएं। और पूजा के अंत में भगवान सत्यनारायण जी की व्रत कथा पढ़कर आरती करे। फिर शाम को चंद्रोदय होने के बाद चन्द्रमा को अर्ध्य देकर व्रत का पारण करे। और व्रत के दूसरे दिन जरुरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन कराए और उन्हें दान-दक्षिणा देकर विदा करें।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा उपाय
Margashirsha Purnima Upay: मार्गशीर्ष पुर्णिमा के दिन दक्षिणावर्ती शंख में कच्चा दूध भरकर उससे भगवान विष्णुजी का अभिषेक करें और उसी में गंगाजल व केसर मिलाकर इससे माता लक्ष्मी का भी अभिषेक करें। इससे दोनों अत्यंत प्रसन्न होकर आपके घर को धन-धान्य से भर देंगे और किसी प्रकार से रुपये-पैसों की कमी नहीं रहेगी।
- मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण की कथा, लक्ष्मी पूजन, शंख पूजन, भगवान श्रीकृष्ण सहित चंद्रमा का पूजन करने से मन के विकार समाप्त होते है।और हर मनोकामना पूरी होती है।
- मार्गशीर्ष पुर्णिमा के दिन जो भी लोग गंगा में स्नान करके निसहाय लोगो की सेवा पूरी श्रद्धा के साथ करता है उसके सभी रोग दोष मुक्त होते है। और सभी पीड़ा का निवारण होता है। इसके अलावा मार्गशीर्ष पुर्णिमा के दिन केवल विष्णु सहस्त्रनाम, भगवदगीता और गजेन्द्र मोक्ष का पाठ करने से सभी तरह के संकट दूर हो होते हैं।
- ऐसी मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान करने के बाद शंख में गंगाजल भरकर घर लाये और पूजा स्थल स्थापित प्रतिमा पर जल मन्त्र बोलते हुए मूर्ति को स्नान कराएं और शेष बचा हुआ गंगाजल को घर के कोने-कोने में छिड़क दें। ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि बढ़ती है, सुख शांति आती है और क्लेश दूर होते हैं।
मार्गशीर्ष पुर्णिमा 2026 Margashirsha Purnima 2026 Date
हिंदी कैलेंडर के अनुसार मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मार्गशीर्ष पूर्णिमा मनाई जाती है। साल 2026 में मार्गशीर्ष पूर्णिमा 23 दिसम्बर दिन बुधवार को मनाई जाएगी।
पुर्णिमा तिथि प्रारम्भ होगी – 23 दिसम्बर 2026 को सुबह 10 बजकर 9 मिनट पर
पूर्णिमा तिथि समाप्त होगी – 24 दिसम्बर 2026 को सुबह 07 बजकर 00 मिनट पर