Diwali 2025 Date: हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की अमावस्या के दिन दीपावली का पर्व मनाया जाता है। दीपावली के दिन धन की देवी माता लक्ष्मी, भगवान गणेश, और भगवान कुबेर की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि दीपावली के दिन भगवान गणेश, माता लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन मे सुख समृद्धि आती है।
दीपावाली का पर्व सुख समृद्धि और वैभव का प्रतीक माना जाता है। यह पर्व मुख्य रुप से 5 दिनों का होता है। जो की धनतेरस से शुरू होता है। और भाई दूज के दिन समाप्त होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार दीपावाली के दिन स्वयं माता माता लक्ष्मी धरती पर आती है। और घर घर मे विचरण करती है।
इसलिए दिपावाली पर घरो की साफ-सफाई करके पूरे विधि विधान के साथ पूजन करने से माता महालक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। और लक्ष्मी पूजा के साथ-साथ भगवान कुबेर की भी पूजा की जाती है। लेकिन पूजन के दौरान इन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। अब आईये जानते है साल 2025 में Diwali 2025 Date कब है? जानिए दिन व दिनाक, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त व उपाय
दीवाली कब है 2025
Diwali 2025 Date Time Muhurat: हिंदी पंचांग के अनुसार दीवाली का पर्व कार्तिक माह के कृष्णपक्ष की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। इस साल 2025 में दिवाली 21अक्टूबर दिन मंगलवार को मनाई जाएगी।
अमावस्या तिथि शुरू – 20 अक्टूबर 2025 को शाम 03 बजकर 45 मिनट पर
अमावस्या तिथि ख़त्म – 21 अक्टूबर 2025 को शाम 05 बजकर 55 मिनट पर
लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त्त – शाम 05 बजकर 46 मिनट से लेकर शाम 05 बजकर 56 मिनट तक तक रहेगा।
पूजा की अवधि – केवल 0 घंटे 10 मिनट
प्रदोष काल – शाम 05 बजकर 46 से रात 08 बजकर 17 मिनट तक रहेगा।
वृषभ काल – शाम 07 बजकर 05 से रात 09 बजकर 01 तक बजे
लक्ष्मी गणेश पूजा विधि
Diwali 2025 Puja Vidhi: दीपावली के दिन मुख्य रूप से माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा अर्चना करने का विधान है। दिपावाली के दिन लक्ष्मी पूजन से पहले घर की अच्छे से साफ-सफाई करें और पूरे घर में वातावरण की शुद्धि और पवित्रता के लिए गंगाजल का छिड़काव करें। साथ ही घर के मुख्य द्वार पर दियो से रंगोली बनाएं।
पूजा स्थल पर एक चौकी रखें और उसपर लाल या पिले रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्ति रखें या दीवार पर माता लक्ष्मी जी का चित्र लगाएं। इसके बाद चौकी के पास जल से भरा एक कलश रखें।
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माता लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्ति पर तिलक लगाएं और दीपक जलाकर जल, मौली, चावल, फल, गुड़, हल्दी, अबीर-गुलाल आदि अर्पित करें और माता महालक्ष्मी की स्तुति करें। इसके साथ देवी सरस्वती, मां काली, भगवान विष्णु और कुबेर देव की भी विधि विधान से पूजा करें।
महालक्ष्मी पूजन पूरे परिवार को एकत्रित होकर करना चाहिए। महालक्ष्मी पूजन के बाद तिजोरी, बहीखाते और व्यापारिक उपकरण की पूजा करें। पूजन के बाद श्रद्धा अनुसार ज़रुरतमंद लोगों को मिठाई और दक्षिणा दें।
दिवाली पर क्या करें?
कार्तिक अमावस्या यानि दीपावली के दिन प्रात:काल शरीर पर तेल की मालिश के बाद स्नान करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से धन की हानि नहीं होती है।
- दिवाली के दिन वृद्धजन और बच्चों को छोड़कर् अन्य व्यक्तियों को भोजन नहीं करना चाहिए। शाम को महालक्ष्मी पूजन के बाद ही भोजन ग्रहण करें।
- दीवाली के दिन अपने पूर्वजों का पूजन करें और उन्हें धूप, दिप व भोग अर्पित करें।
- दीवाली के दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेशजी पूजा करने लिए अपने घरों और दुकानों को गेंदे के फूल और आम तथा केले के पत्तों से सजाते हैं।
इसके बाद दीवाली के दिन कलश के ऊपर नारियल रखकर उसे घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर रखना शुभ माना जाता है।