Shardiya Navratri 2026: हिंदू धर्म में नवरात्रि पर्व का विशेष महत्व होता है। हिंदी पंचांग के अनुसार आश्विन मास के शुक्लपक्ष की प्रतिप्रदा तिथि के दिन से नवरात्रि के नव दिनों की शुरुआत होती है। इन नव दिनों में माता दुर्गा के 9 अलग-अलग स्वरूपों की पूजा अर्चना करने का विधान है।
ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि के दिनों में माता दुर्गा की पूजा अर्चना करने से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है, और जीवन मे आने वाला संकट समाप्त होता है। और सभी प्रकार की मनोकामना पूरी होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार नवरात्रि में हर दिन माता दुर्गा के नव रूपो की पूजन का खास महत्व होता है। और इस दिन माता दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए तरह-तरह के उपाय भी किया जाता है।
ऐसी मान्यता है शारदीय नवरात्रि के दौरान ही माता दुर्गा ने महिसासुर नामक राक्षस का वध किया था। इसलिए आज के दिन दुर्गा पूजा का पर्व मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि दुर्गा शक्ति पाने के उदेय्य से मनाया जाता है।
दुर्गा पूजा का पर्व बुराई पर अच्छाई पर जीत का प्रतीक माना जाता है। आईये जानते है साल 2026 में शारदीय नवरात्रि कब से शुरू होगी और कब समाप्त होगी, जानिए सही दिन तारीख, पूजा शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, कलश स्थापना, और दुर्गा सप्तमी, अष्टमी, और नवमी तिथि कब है?
शारदीय नवरात्रि पूजा विधि
आश्विन मास के शुक्लपक्ष की प्रतिप्रदा तिथि के दिन यानी नवरात्रि के पहले दिन ब्रम्ह मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर शुद्ध वस्त्र धारण करे फिर अपने सामर्थ्य के अनुसार दो तीन या फिर नव दिनों का व्रत का संकल्प लें। इसके बाद एक मिट्टी के बर्तन में जौ बोकर उसके बीचो-बीच मिट्टी का कलश रखकर उसमें गंगाजल डालकर स्थापितआ करें।
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फिर कलश के ऊपर अखंड दीप जलाएं। और माता दुर्गा की पूरे विधि विधान के साथ पूजा करें। पूजा करने के बाद माता दुर्गा को अर्घ्य दें। अर्घ्य देने के बाद माता की तस्वीर या मूर्ति पर अक्षत और सिंदूर चढ़ाएं। फिर माता की आरती करके पूजा समाप्त करे।
शारदीय नवरात्रि घटस्थापना विधि
शारदीय नवरात्रि की शुरुआत घटस्थापना से होती है। इसलिए नवरात्रि के पहले प्रतिप्रदा तिथि में कलश या घटस्थापना की जाती है। शास्त्रों के अनुसार कलश स्थापना शुभ मुहूर्त में ही करनी चाहिए।
- नवरात्रि के पहले दिन प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत का संकल्प लें और पूजा स्थल पर कलश या घटस्थापना करे।
- कलश स्थापना से पहले मिट्टी से भरे बर्तन में सप्त धान्य बो ले अब मिट्टी के ऊपर जल से भरा एक कलश रखे। और कलश पर रोली से स्वतिस्क बनाले।
- इसके बाद कलश ऊपर कलावा बांध कर कलश के ऊपर आम के पत्ते रखे। और कलश में हल्दी की गांठ, सिक्का, सुपारी व दुब डाल दे।
- इसके बाद एक लाल कपड़े में सुखा नारियल बांधकर कलश के ऊपर रखदे। इसके बाद सर्वप्रथम भगवान गणेश जी और समस्त देवी देवताओं और माता दुर्गा का आह्वाहन करके सर्वप्रथम माता शैलपुत्री की पूजा अर्चना करे।
शारदीय नवरात्रि 2026 Shardiya Navratri 2026 Start Date Time
हिंदी पंचांग के अनुसार आश्विन मास के शुक्लपक्ष की प्रतिप्रदा तिथि से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होती है। जो साल 2026 में शारदीय नवरात्रि।11 अक्टूबर दिन रविवार से शुरू होगी और 20 अक्टूबर दिन मंगलवार को समाप्त होगी।
- प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ होगी – 10 अक्टूबर 2026 को रात्रि 09 बजकर 19 मिनट पर
- प्रतिपदा तिथि समाप्त होगी – 11 अक्टूबर 2026 को रात्रि 09 बजकर 30 मिनट पर
- घटस्थापना का शुभ मुहूर्त – 11 अक्टूबर 2026 को सुबह 06 बजकर 19 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 12 मिनट तक रहेगा।
- घटस्थापना का अभिजित मुहूर्त – सुबह 11 बजकर 44 मिनट से दोपहर 12 बजकर 31 मिनट तक