Paush Amavasya 2029: धार्मिक मान्यता के अनुसार अमावस्या तिथि का हिन्दू धर्म मे बड़ा महत्व है। क्योकि पौष का महीना भगवान सूर्यदेव की उपासना का विशेष दिन माना जाता है। इसलिए पौष का महीना पूजा पाठ के लिए सबसे उत्तम माना जाता है। हिंदी पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष पौष माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को पौष अमावस्या मनाई जाती है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का विधान है। अमावस्या तिथि पितरों की तिथि मानी जाती है इस दिन पितरो को जल से तर्पण और श्राद्ध आदि कार्य किये जाते है।
हिंदी कैलेंडर के अनुसार पौष माह के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को पौष अमावस्या कहते हैं। क्योंकि इस अमावस्या के दिन अनेको धार्मिक कार्य किये जाते हैं। और पौष अमावस्या के दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण व श्राद्ध किया जाता है। तो वहीं पितृ दोष और कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए पौष अमावस्या के दिन उपवास भी रखा जाता है। आइए जानते है साल 2029 में (पौष अमावस्या) Paush Amavasya कब है? जानिए पूजा का सही तिथि, पूजा शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इस दिन किये जाने वाले उपाय –
2029 पौष अमावस्या कब है Paush Amavasya 2029 Date Time New Delhi
| व्रत त्यौहार | व्रत त्यौहार समय |
|---|---|
| 2029 में पौष अमावस्या | नही है |
पौष अमावस्या पूजा विधि
धार्मिक मान्यता के अनुसार पौष अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान का विशेष महत्व है। इसलिए पौष मास की अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर दैनिक क्रिया करके स्नान आदि करके साफ व शुद्ध कपड़े पहनकर भगवान सूर्य देव को अर्घ दे। यटि आप नदी में स्नान नहीं कर सकते है तो घर पर ही पानी में गंगाजल डालकर स्नान करे। और सूर्य देव को अर्ध्य और उसके बाद पितृ तपण, श्राद्ध, दान आदि करे। लेकिन (पौष अमावस्या) Paush Amavasya के दिन तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान जरूर करना चाहिये। संभव हो तो इस दिन भगवान विष्णु जी और भगवान शिवजी का व्रत रखकर पूजा अर्चना करें। और शाम के समय पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं। इससे पितृ प्रसन्न होते है और आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।
पौष अमावस्या उपाय
पौष मास की अमावस्या का विशेष महत्व होता है। ऐसी मान्यता है पौष के महीने में भगवान सूर्य देव उत्तरायण होते है। इसलिए आज के दिन मकरसंक्रांति का पर्व भी मनाया जाता है। इसलिए आज के दिन कुछ विशेष उपाय जरूर करना चाहिए जैसे –
धार्मिक मान्यता के अनुसार पौष मास की अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ में जल, तिल, गुड़ अर्पित करें। और पीपल के केवल एक पत्ते पर ‘श्रीं’ लिखकर माता लक्ष्मी के चरणों में अर्पित करे। फिर अमावस्या तिथि के अगले दिन उस पत्ते को अपने पर्स में रख लें। इस उपाय को करने से धनलाभ होता है।
पौष मास की अमावस्या के दिन पितरों को तर्पण करने का विशेष महत्व है। अत: इस दिन पवित्र गंगा नदी, जलाशय या कुंड, बावड़ी, पोखर, नहर आदि में स्नान करें और भगवान सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद पितरों का तर्पण करे।
पौष मास की अमावस्या के दिन पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए किसी भी जरूरत मंद व्यक्ति को चावल, गर्म दूध, गर्म कपड़े आदि दान करने से पितर सुख समृद्धि और दीर्घायु होने का आर्शीवाद देते है।
पौष मास की अमावस्या के दिन तांबे के लोटे में शुद्ध जल, लाल चंदन और लाल रंग के पुष्प डालकर भगवान सूर्य देव को अर्घ्य देने से हर शरीर रोग मुक्त होती है। और हमारे ऊपर भगवान सूर्य देव की कृपा बनी रहती है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार जिन व्यक्तियों के जन्म कुंडली में पितृ दोष और संतान हीन योग होता है। उन्हें पौष मास की अमावस्य का उपवास करके पितरों का तर्पण करना चाहिए। और पीपल के पेड़ का पूजन करके तुलसी के पौधे की परिक्रमा करनी चाहिए।
ऐसी मान्यता है कि पौष अमावस्या का व्रत करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और मनुष्य की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
पौष मास की अमावस्या की रात के समय इसान कोण में गाय के घी का दीपक जलाने से माता लक्ष्मी का घर मे वास होता है।
