Lalita Jayanti 2026: हिन्दू धर्म मे ललिता जयंती का पर्व पूरे भारत वर्ष में बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस दिन अनेक जगहों पर भव्य मेलों का आयोजन भी किया जाता है। जिसमें हज़ारों श्रद्धालु बढ़ चढ़कर भाग लेते है। ऐसी मान्यता है की देवी ललिता की आराधना करने से व्यक्ति को शक्ति मिलती है और इस दिन माता ललिता की विशेष पूजा अर्चना करने से हर तरह के सुख वैभव की प्राप्ति होती है। माघ पूर्णिमा के दिन ललिता जयंती होने के कारण इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। क्योकि शास्त्रो में बतलाया गया है कि माघ का महीना सभी महीनों में एक होता है
हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को ललिता जयंती का पर्व मनाया जाता है। यह दिन माता ललिता को समर्पित होता है। साथ ही इस दिन उनकी विधि-विधान से पूजा की जाती है। ललिता माता सती माता का रूप मानी जाती है। शास्त्रों में बताया गया है कि माता ललिता दस महाविद्याओं में से तीसरी महाविद्या मानी जाती हैं। ललिता जयंती के दिन माता ललिता के साथ स्कंदमाता और भगवान शिव जी की पूजा-अर्चना की जाती है।
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ऐसी मान्यता है कि आज के दिन ललिता माता की पूजा अर्चना करने से माता अति प्रसन्न होती है। और अपने भक्तों को आर्शीवाद देती है। और इस दिन पूजा अर्चना करने से जीवन चक्र से मुक्ति मिलती है। और मनुष्य मोक्ष को प्राप्त करता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार ललिता जयंती के दिन पूरे विधि विधान से इनकी पूजा अर्चना करने सभी प्रकार की सिद्धिया प्राप्त होती है। आईये जानते है साल 2026 में ललिता जयंती कब मनाई जाएगी 01 फरवरी या 02 फरवरी, जानिए सही दिन व तारीख, पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इस दिन किये जाने वाले उपाय
ललिता जयंती शुभ मुहूर्त Lalita Jayanti 2026 Muhurat
माघ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 01 फरवरी 2026 को सुबह 05 बजकर 55 मिनट पर हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन 02 फरवरी 2026 को रात 03 बजकर 41 मिनट पर होगा। इस प्रकार ललिता जयंती, जिसे षोडशी जयंती के नाम से भी जाना जाता है। जो 01 फरवरी 2026 दिन रविवार को को मनाई जाएगी।
ललिता जयंती पूजा विधि Lalita Jayanti 2026 Puja Vidhi
ललिता जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर माता ललिता का ध्यान करें। और व्रत का संकल्प ले इसके बाद सफेद वस्त्र धारण करे। इसके बाद मंदिर की अच्छी तरह से साफ-सफाई करें। इसके बाद एक चौकी लेकर उसपर गंगाजल छिड़कर उत्तर की दिशा में अपना मुख करके बैठ जाये और चौकी पर लाल या सफेद रंग का कपड़ा बिछाकर माता ललिता की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
इसके बाद माता ललिता का कुमकुम से से तिलक करें। और उन्हें अक्षत, फल और पीले फूल चढ़ाकर धूप-दीप करें। फिर दूध से बनी चीजों का भोग लगाएं। और ललिता जयंती का पाठ करे। और ॐ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नमः॥ मंत्र का जाप करें। और पूजा के अंत मे माता की आरती करके पूजा समाप्त करे।
ललिता जयंती कथा History OF Lalita Jayanti
धार्मिक मान्यता के अनुसार आदि शक्ति माता ललिता का वर्णन देवी पुराण में मिलता है। जिसके अनुसार पिता दक्ष द्धारा अपमान से दुखी होकर जब सती ने अपने प्राण त्याग दिये तब सती के वियोग में भगवान शिव उनके शरीर को अपने कंधों में उठाए चारों दिशाओं में घूमने लगे इस महाविपत्ति को भापकर भगवान विष्णु ने अपने चक्र से सती के 108 भाग कर दिए। इस प्रकार सती के शरीर अंश जहां-जहां गिरे वहां शक्तिपीठ की स्थापना हुई। उसी में एक शक्ति पीठ माता ललिता भी है।