Kali Puja 2026: कब है काली पूजा 2026 में, नोट करले, पूजा शुभ मुहूर्त, पूजा विधि व सामग्री

Kali Puja 2026: मां काली पूजा एक हिंदुओ का प्रमुख त्योहार है जो माता काली को सपर्पित होता है। यह पर्व हिंदी पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि के दिन माता काली की पूजा अर्चना की जाती है। काली पूजा को श्यामा पूजा के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि अमावस्या के दिन मध्यरात्रि में माता काली की पूजा अर्चना की जाती है।

धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन माता काली की पूजा अर्चना करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी होती है। और संकठो से रक्षा होती है। सभी प्रकार के शारीरिक एवं मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। यदि माता काली को प्रसन्न करना चाहते है तो माता काली के मंत्रो का जाप अवश्य करे।

काली पूजा मुख्य रूप से बंगाल में बनाया जाता है।लेकिन इसके अलावा मां काली पूजा बिहार, बंगाल, ओडिशा और झारखंड समेत देश के कई अन्य राज्यों में बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाई जाती है। और आज के दिन ही दिवाली का पर्व भी मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर धन की देवी माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ ही पूजा होने तक व्रत रखा जाता है।

धार्मिक मान्यता है कि माता लक्ष्मी एवं भगवान गणेश की पूजा करने से धन संबंधी परेशानी दूर होती है। इनकी पूजा उपासना करने से भय नाश ,आरोग्य की प्राप्ति, स्वयं की रक्षा और शत्रुओं का नियंत्रण होता है। इनकी उपासना से तंत्र मंत्र के सारे असर समाप्त हो जाते हैं। आईये जानते है साल 2026 में काली पूजा कब है 08 या 09 नवम्बर, जानिए काली पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि, व काली पूजा का महत्व

काली पूजा सामग्री

माता काली की पूजा दो प्रकार से की जाती है। एक सामान्य रूप से और दूसरा तांत्रिक रूप से लेकिन हम आप सामान्य पूजा सामग्री और पूजा करने की विधि को बताएंगे जैसे –

  • माता काली की तस्वीर
  • गुड़हल का फूल
  • धूप
  • दिप
  • अगरबत्ती
  • बतासा
  • हलवा
  • पूड़ी
  • मीठा पान
  • अक्षत
  • सुपारी
  • लौंग
  • नारियल आदि।

मां काली पूजा विधि

Kali Puja Vidhi: आश्विन अमावस्या के दिन व्रती सुबह जल्दी उठकर दैनिक क्रिया से निपटकर स्नान आदि से निवृत होकर साफ व शुद्ध कपड़े पहनकर व्रत का संकल्प ले। इसके बाद पूजा मंदिर की अच्छे से साफ-सफाई आदि करके पूजा स्थल पर एक लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा विछाकर माता की फ़ोटो या फिर मूर्ति स्थापित करे।

इसके बाद जल से भरे कलश की स्थापना करे और नारियल रखे मा काली को फल फूल धूप दीप नवेद आदि अर्पित करे। इसके बाद माता काली के मंत्रो ।। ॐ क्रीं क्रीं क्रीं हलीं ह्रीं खं स्फोटय क्रीं क्रीं क्रीं फट ।। का जाप करे। इसके पश्चयात माता काली को नारियल के लड्डू और फल का भोग लगाएं । इसके बाद माता काली के समक्ष घी का दीपक और कपूर जलाकर आरती करें।

मां काली की उत्तपत्ति कैसे हुई?

काली माता माता दुर्गा का ही रूप है। असुरों का संहार करने के लिए ही माता दुर्गा ने काली का अवतार लिया था। एक कथा के अनुसार – दारुक नामक राक्षस भगवान ब्रम्हा जी का परम भक्त था। उसने घोर तपस्या करके वरदान प्राप्त किया था। कि मुझे कोई भी व्यक्ति मार नही सकता इसकी वजह से पृथ्वी पर अपना आतंक मचा रखा था। जो लोग भगवान की पूजा करते थे उनपर अपना कहर बरसाता था। वह देव ताओ को भी नही छोड़ता था।

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उसके आतंक से परेशान होकर देवता भगवान ब्रह्मा जी के पास गये तब भगवान ब्रह्मा जी बताया कि उसे कोई भी पुरुष मार नही सकता उसे केवल औरत ही मार सकती है। तब सभी देवता औरत का रूप धारण करके लड़ने लगे लेकिन हार गए। तब भगवान शिव जी ने माता पार्वती से कहा कि हे कल्याली जगत की रखा के लिए तुम्हे जाना होगा तब माता पार्वती मुस्कुराते हुये भगवान शंकर के अंदर प्रवेश करवाया। जिसकी वजह से माता काली की उत्तपत्ति हुई।

2026 में काली पूजा कब है Kali Puja 2026 Date

Kali Puja 2026 Date: हिंदी पंचांग के अनुसार काली पूजा आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि के दिन माता काली की पूजा अर्चना की जाती है। साल 2026 में काली पूजा 08 नवम्बररविवार दिन सोमवार को किया जाएगा।

  • निशिता काल में पूजा का मुहूर्त -09 नवम्बर 2026 को रात 11 बजकर 39 मिनट से लेकर सुबह 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगा।
    अवधि – 00 घण्टे 53 मिनट
  • अमावस्या तिथि प्रारम्भ होगी – 08 नवम्बर 2026 को सुबह 11 बजकर 27 मिनट पर
  • अमावस्या तिथि समाप्त ह – 09 नवम्बर 2026 को दोपहर 12 बजकर 31 मिनट पर

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