Kajari Teej 2025: कजरी तीज 2025 डेट, पूजा शुभ मुहूर्त, और पूजा विधि

kajari Teej 2025: हिंदी कैलेंडर के अनुसार कजरी तीज हर वर्ष भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। और इसे कजली तीज, सातुड़ी तीज, बूढ़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है। कजरी तीज के अवसर पर नीमड़ी माता की पूजा करने का विधान है। और यह व्रत अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार कजरी तीज जुलाई या अगस्त के महीने में पड़ती है। यह पर्व मुख्य रूप से महिलाओं का पर्व है। यह पर्व मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और बिहार समेत कई अन्य राज्यो में मनाया जाता है। यह पर्व हरितालिका तीज व्रत की तरह ही मनाया जाता है।

सुहागन महिलाओं के लिए यह प्रमुख पर्व माना जाता है। यह व्रत वैवाहिक जीवन की सुख और समृद्धि के लिए किया जाता है। कजरी तीज व्रत के दिन सभी सुहागन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए कजली तीज का व्रत रखती हैं जबकि कुंवारी कन्याएं अच्छा वर पाने के लिए यह व्रत करती हैं। आइये जानते है साल 2025 में कजरी तीज व्रत कब है? 11 या 12 अगस्त, जानिए सही दिन व तारीख, पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इस दिन किये जाने वाला उपाय

कजरी तीज व्रत के नियम

कजरी तीज पर होने वाली कुछ परंपरा होती है। जिसे जरूर निभाना चाहिए।

  • कजरी तीज पर जौ, गेहूं, चने और चावल के सत्तू में घी और मेवा मिलाकर तरह-तरह के पकवान बनाये जाते हैं। और चन्द्र उदय होने पर बनाये गए पकवान का भोजन करके व्रत तोड़ते हैं।
  • ऐसी मान्यता है कि कजरी तीज व्रत के दिन गायों की विशेष रूप से पूजा करके आटे की सात लोइयां बनाकर उन पर घी, गुड़ रखकर गाय को खिलाने के बाद स्वयं भोजन ग्रहण किया जाता है।
  • कजली तीज पर्व पर घर में तरह-तरह के झूले डाले जाते हैं और व्रती महिलाएं एकत्रित होकर नाचती-गाती हैं। और इस दिन कजरी गीत गाने की विशेष परंपरा होती है।

कजरी तीज पूजा विधि

कजरी तीज व्रत के दिन सभी व्रती महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके साफ व शुद्ध कपड़े पहनकर ले। इसके बाद पूजा स्थल को साफ सुथरा करके पूजा की सामग्री एक जगह रखे ले। जैसा कि पूजन सामग्री में नींबू, ककड़ी, केला, सेव, सत्तू, रोली मोली, अगरबत्ती, दीपक, माचिस, चावल, कलश, निम की डाली दूध, नीमड़ी माता के लिए कपड़ा या ओढ़नी, तीज व्रत कथा की किताब, कुछ छुट्टा पैसा पूजा की ताली में रख ले।

इसके बाद मिट्टी या फिर गोबर से दीवार के सहारे एक तालाब जैसी हूबहू आकृति बना ले। और उस तालाब में पटास या नीम की टहनी को उस तालाब में गाड़ दे। फिर इसके बाद तालाब में कच्चा दूध और जल डाल दे। और बनाये गए तालाब के किनारे पर एक दीया जलाकर रख दे। लेकिन पूजा करने से पहले पूजा स्थल पर एक कलश की स्थापना करें। और उस कलश के ऊपर मुख्य भाग पर मौली बांधकर उसमें आम के कुछ पत्ते डाल दे।

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फिर कलश पर फूल, चावल, कुछ सिक्के कलश के ऊपर रख दे। इसके बाद कलश और तालाब के आस-पास भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करे। और इनकी पूजा करें क्योंकि इनकी पूजा के बगैर पूजा अधूरी मानी जायेगी। और पूजा के अंत मे व्रती महिलाएं कजरी व्रत की कथा कहती है या फिर सुनाती है। और फिर पूजा समाप्त होने के बाद सभी व्रती महिलाएं अपने अपने स्थान पर खड़े होकर माता के फेरे लगाती है। और फिर माता की जयकारी लगाकर पूजा समाप्त करती है।

Kajari Teej 2025 कब है

  • अब आप को बतादे की साल 2025 में कजरी तीज व्रत 12 अगस्त दिन मंगलवार को मनाई जाएगी।
  • भाद्रपद मास की तृतीया तिथि शुरू होगी – 11 अगस्त 2025 को सुबह 10 बजकर 33 मिनट पर
  • भाद्रपद मास की तृतीया तिथि समाप्त होगी : 12 अगस्त 2025 को सुबह 08 बजकर 40 मिनट पर

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