Kaal Bhairav Jayanti 2028: काल भैरव जयंती का हिन्दू धर्म मे विशेष महत्व है। हिंदी पंचांग के अनुसार हर वर्ष मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालभैरव अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव ने कालभैरव का अवतार लिया था। इसलिए इस पर्व को कालभैरव जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस दिन विधि-विधान के साथ भगवान शिव के रौद्र रूप भगवान भैरव की पूजा करने का विधान है।
ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत व पूजन करने से भगवान भैरव अति प्रसन्न होते हैं और हर संकट से अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। इस दिन प्रातः व्रत का संकल्प लेकर रात्रि में काल भैरव भगवान की पूजा की जाती है। भगवान काल भैरव की पूजा करने से भय, ग्रह बाधा, शत्रु बाधा, से मुक्ति मिलती है। ऐसी मान्यता है कि जो लोग इस दिन अच्छे कार्य करते है। उनके लिए भगवान काल भैरव का यह स्वरूप कल्याणकारी होता है।
और जो लोग अनैतिक कार्य करते है उनके लिए ये दंडनायक होता हैं। धार्मिक मान्यता है कि जो लोग भगवान काल भैरव के भक्तों का अहित करता है उसे तीनों लोक में कहीं भी शरण प्राप्त नहीं होती है। आईये जानते है साल 2028 में काल भैरव जयंती (Kaal Bhairav Jayanti) कब है? 09 या 10 नवंबर, जानिए सही दिन व तारीख, पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इस दिन क्या करना चाहिए क्या नही?
काल भैरव जयंती 2028 शुभ मुहूर्त Kaal Bhairav Jayanti 2028 Date Time
| व्रत त्यौहार | व्रत त्यौहार समय |
|---|---|
| काल भैरव जयंती | 09 नवम्बर 2028, गुरुवार |
| अष्टमी तिथि प्रारम्भ | 09 नवम्बर 2028, शाम 03:40 मिनट पर |
| अष्टमी तिथि समाप्त | 10 नवम्बर 2028, दोपहर 02:03 मिनट पर |
काल भैरव जयंती पूजा विधि
काल भैरव जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके व्रत का संकल्प ले। इसके बाद भगवान शिव के समक्ष घी का दीपक जलाएं और पूजन करें। धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान काल भैरव का पूजन रात्रि में करने का विधान है। और शाम के समय भगवान काल भैरव के मंदिर में जाकर भगवान काल भैरव की प्रतिमा के सामने चौमुखी दीपक जलाएं।
और मौसमी फल, फूल, इमरती, जलेबी, उड़द, पान नारियल आदि चीजें अर्पित करें। इसके बाद वहीं आसन पर बैठकर भगवान काल भैरव का चालीसा पढ़े। और पूजन समाप्त होने के बाद भगवान काल भैरव की आरती करें और जानें-अनजाने में हुई गलतियों के लिए भगवान काल भैरव से क्षमा याचना करे।
काल भैरव जयंती के दीन क्या करे
धार्मिक मान्यता है कि काल भैरव जयंती के दिन पास के बाबा काल भैरव जी के मंदिर में जाकर उनकी पूजा अर्चना करें और एक शराब की बोतल प्रसाद के रूप में जरूर अर्पित करें। इसके बाद चढ़ाए गयी शराब की बोतल को मन्दिर मे किसी भी दान करदे। ऐसा करने से जीवन में आने वाली सभी समस्याओं से मुक्ति मिलती है और भैरव बाबा का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
ऐसी मान्यता है कि काल भैरव जयंती के दिन यदि काले कुत्ते को मीठी रोटी खिलाने से जीवन मे आने वाला तनाव, कष्ट, और किसी भी तरह की परेशानिया दूर होती है।
ऐसी मान्यता है कि काल भैरव जयंती (Kaal Bhairav Jayanti) के दिन विल्व पत्र पर ओम नमः शिवाय लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाने से भगवान अति प्रसन्न होते है।
ऐसी मान्यता है कि काल भैरव जयंती के भगवान शिव जी की पूजा अर्चना करने से भगवान शिव अति प्रसन्न होते है।
ऐसी मान्यता है कि काल भैरव जयंती के दीन सरसो के तेल में पूड़ी, पापड़, कचौड़ी, पकौड़ी को अच्छी तरह से पकाकर किसीभी जरूर मन्द व्यक्ति या फिर किसी गरीब ब्राम्हड़, या किसी भिखारी को दान करे। ऐसा करने से बाबा भैरव अति प्रसन्न होते है। और कारोवार में वृद्धि होती है। और भय से मुक्ति मिलती है।
काल भैरव जयंती के दिन क्या ना करे
काल भैरव जयंती (Kaal Bhairav Jayanti) के दिन भूलकर भी अपने मन मे अहंकार का विचार ना लाएं। और किसी को भी अपशब्द भूलकर भी नही बोलना चाहिए।
काल भैरव जयंती के दिन भूलकर भी बेजुबान पशु-पक्षियों को परेसान नही करना चाहिए।
Kaal Bhairav Jayanti के दिन तामसिक भोजन जैसे मांस, मछली, लहसुन, प्याज आदि भूलकर भी नही खाना चाहिए।
