Ganadhipa Sankashti Chaturthi 2026: हिन्दू धर्म मे संकष्टी चतुर्थी व्रत का विशेष महत्व है। हिंदी पंचांग के अनुसार वर्ष में दो बार संकष्टी चतुर्थी तिथि आती है। एक शुक्लपक्ष में तो दूसरी कृष्णपक्ष में। हिंदी पंचांग के अनुसार कृष्णपक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश जी को समर्पित होती है। मार्गशीर्ष मास में पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी को गणाधिप संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश जी की पूजा अर्चना की जाती है।
ऐसी मान्यता है कि गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि का आगमन होता है और आने वाली सभी बाधाएं दूर होती हैं। इस दिन विवाहित महिलाये अपने पति और संतान की दीर्घायु के लिए संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखती हैं। आइये जानते है साल 2026 मार्गशीर्ष माह की गणाधिप संकष्टी चतुर्थी व्रत कब है 27 या 28 नवम्बर, जानिए सही डेट, पूजा शुभ मुहूर्त, पूजा विधि व चंद्रोदय का शुभ मुहर्त और इस दिन किये जाने वाले उपाय क्या है।
संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि
संकष्टी चतुर्थी के दिन ब्रम्ह मुहूर्त में उठकर स्नान आदि करके साफ व शुद्ध वस्त्र पहनकर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद पूजा स्थल की अच्छे से साफ सफाई करके गंगाजल का छिड़काव करें। इसके बाद पूजा स्थल पर एक लकड़ी की चौकी पर लाल या पीले रंग का वस्त्र विछाकर उसपर भगवान गणेश की मूर्ति या फ़ोटो स्थापित करे। इसके बाद भगवान गणेश की पूजा अर्चना करे।
इसके बाद भगवान जी को फूल, माला, दूर्वा, सिंदूर, रोली, कुमकुम आदि अर्पित करे। इसके बाद भगवान गणेश जी को मोदक का लड्डू आदि अर्पित करे। इसके बाद भगवान गणेश जी के समक्ष घी का दीपक जलाएं और गणेश चालीसा का पाठ करे। इसके बाद रात्रि जागरण करते हुए भगवान गणेश जी कथा पढ़े या फिर सुने और पूजा के अंत मे भगवान गणेश जी आरती करें। इसके बाद चंद्रमा उदय होने पर चंद्रमा को जल का अर्घ दे इसके बाद व्रत का पारण करे।
गणाधिप संकष्टी चतुर्थी व्रत उपाय
- शास्त्रो के अनुसार भगवान गणेश जी को शमी की पत्तियां बहुत प्रिय हैं। इसलिए गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश जी को शमी के पते जरूर चढ़ाना चाहिए इससे मनोकामना पूरी होती है।
- ऐसी मान्यता है कि भगवान गणेश जी की को लाल सिंदूर का तिलक करने से गणेश जी की कृपा प्रास होती है।
- धार्मिक मान्यता है कि गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश जी के मस्तक पर हल्दी में थोड़ा में घी मिलाकर तिलक लगाने से जीवन में खुशियों का आगमन होता है। और जीवन मे सफलता पाने के लिए आज के दिन दू्वा की सात गांठे बनाकर गणेश जी को अर्पित करें और कपूर से उनकी आरती करें।
- संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश जी को गुड़ की 21 गोलियां और दूर्वा अर्पित करने से विवाह में आने वाली सभी बाधाएं दूर होती है और जल्द ही विवाह के योग बनने लगते है।
2026 में गणाधिप संकष्टी चतुर्थी कब है Ganadhipa Sankashti Chaturthi 2026 Date
Ganadhipa Sankashti Chaturthi 2026 Date: हिंदी पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष मास में पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी के गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है जो साल 2026 गणाधिप संकष्टी चतुर्थी 27 नवम्बर दिन शुक्रवार को रखा जायेगा।
- चतुर्थी तिथि प्रारम्भ – 27 नवम्बर 2026 को सुबह 09 बजकर 48 मिनट पर
- चतुर्थी तिथि समाप्त – 28 नवम्बर 2026 को सुबह 06 बजकर 39 मिनट पर
- संकष्टी के दिन चन्द्रोदय का समय – रात 08 बजकर 12 मिनटपर
