Champa Shashti 2028: हिन्दू धर्म मे चंपा षष्ठि व्रत का विशेष महत्व होता है। शास्त्रो के अनुसार भगवान कार्तिकेय षष्ठी तिथि और मंगल ग्रह के स्वामी माने जाते हैं और इनका निवास स्थान दक्षिण दिशा में होता है। इसीलिए जिन लोगों की जन्म कुंडली में कर्क राशि अर्थात् नीच का मंगल होता है।उन्हें मंगल को मजबूत करने तथा मंगल के शुभ फल पाने के लिए चंपा षष्ठि के दिन भगवान कार्तिकेय का व्रत रखना चाहिए। और चंपा षष्ठि के भगवान कार्तिकेय को चंपा के फूल अति पसंद है।
इसलिए इनकी पूजा करते समय चंपा के फूल पूजा में अवश्य सामिल करना चाहिए। हिंदी पंचांग के अनुसार चंपा षष्ठी प्रत्येक वर्ष मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है। यह त्योहार भगवान शिव के अवतार खंडोबा या खंडेराव को समर्पित होता है। भगवान खंडोबा को किसानों, चरवाहों और शिकारियों का मुख्य देवता माना जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से कर्नाटक और महाराष्ट्र जैसे कई राज्यों का प्रमुख त्यौहार है।
शास्त्रों में बताया गया है कि चंपा षष्ठी के दिन भगवान शिव की उपासना करने से अज्ञानतावश वश किये गए पापों से मुक्ति मिलती है। और धन-ऐश्वर्य की प्राप्ति, मोक्ष की प्राप्ति होती है। व मनुष्य द्वारा पूर्व जन्म में किये गए पाप भी धुल जाते हैं। और जीवन में खुशियां आती है। आईये जानते है साल 2028 में चंपा षष्ठि कब है? 21 या 22 नवम्बर, जानिए सही दिन व तारीख, पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, और इस दिन क्या करे क्या ना करे।
चंम्पा षष्ठी 2028 तारिख और समय Champa Shashthi 2028 Date Time
| व्रत त्यौहार | व्रत त्यौहार समय |
|---|---|
| चंम्पा षष्ठी | 21 नवम्बर 2028, मंगलवार |
| षष्ठी तिथि प्रारम्भ | 21 नवम्बर 2028, दोपहर 01:33 मिनट पर |
| षष्ठी तिथि प्रारम्भ | 22 नवम्बर 2028, दोपहर 02:46 मिनट पर |
चंपा षष्ठी पूजा विधि Champa Shashthi 2028 Puja Vidhi
चंपा षष्ठी के दिन व्रती प्रात:काल जल्दी उठकर नित्य क्रिया से निवित्र होकर स्नान आदि करके भगवान शिव जी की पूजा का संकल्प ले। इसके बाद भगवान शिव जी के खंडोबा स्वरूप की पूजा करें। यदि आप चाहें तो इस दिन शिवलिंग का गंगाजल और गाय के दूध से जलाभिषेक कर सकते है। इसके बाद शिवलिंग पर बेलपत्र, भांग, मदार, पुष्प, धतूरा, बैंगन, बाजरा, फल, सब्जियां, हल्दी आदि अर्पित करें। इसके बाद भगवान शिव जी की आरती करें। फिर पूजा समाप्त करे।
चंपा षष्ठी क्या करे क्या ना करे
चंपा षष्ठि दिन किसी ब्राह्मण या गरीब व्यक्ति को भोजन आदि कराने के साथ-साथ, कंबल या गरम कपड़े दान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
चंपा षष्ठि के दिन रात्रि में कटिया, चारपाई पर बल्कि भूमि पर शयन करना चाहिए। और हो सके तो चंपा षष्ठि के दिन तेल का सेवन नहीं करना चाहिए।
चंपा षष्ठि के दिन शिव मंदिर में जाकर भगवान कार्तिकेय को नीला वस्त्र जरूर अर्पित करना चाहिए। जो लोग ऐसा करते है उनको मान सम्मान में बृद्धि होती है।
चंपा षष्ठि के दिन तामसिक भोजन जैसे – मांस, मछली, अंडा, लहसुन, प्याज आदि नही खाना चाहिए और ना ही घर मे बनाना चाहिए।
