2026 बगलामुखी जयंती कब है? Baglamukhi Jayanti 2026 Date Time, नोटकरे, पूजा शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, महत्व

Baglamukhi Jayanti 2026: हिन्दू धर्म मे बगलामुखी जयंती का विशेष महत्व है। माता बगलामुखी दशमहाविद्याओ में से आठवीं महाविद्या है। हिंदी पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को माता बंगलामुखी जयंती मनाई जाती है। मान्यता है कि आज के दिन ही माता बगलामुखी का धरती पर प्राकट्य हुआ था। इस लिए आज के दिन माता बंगलामुखी की जयंती पूरे हर्सोल्लास के साथ मनाई जाती है। माता बगलामुखी को पीतांबरा, ब्रह्मास्त्रविद्या और स्तम्भकारिणी आदि प्रमुख नामो से जानी जाती है।

मान्यता है कि बगलामुखी माता की पूजा अर्चना करने शत्रुओं और विरोधियों पर विजय प्राप्त होती है। और कोर्ट-कचहरी से जुड़े मामलों और वाद-विवादों में सफलता मिलती है। इनकी पूजा करने से वाणी में मधुरता आती है, और आत्मविश्वास बढ़ता है। और मानसिक तनाव दूर होता है और कुंडली मे जो भी ग्रह दोष है वह दूर होता है।

माता बगलामुखी का स्वरूप अत्यंत तेजस्वी है, माता बगलामुखी पीला वस्त्र धारण करती है और सोने के सिंहासन पर विराजमान रहती है। माता बगलामुखी के तीन नेत्र, चार हाथ हैं और सोने के आभूषण और मुकुट धारण करती है। उनका एक हाथ दाहिनी ओर के राक्षस की जीभ पकड़ी हुई है। और उनके दुसरे हाथ मे एक गदा है, जिससे वह एक राक्षस को मार रही हैं। आइये जानते है साल 2026 में बगलामुखी जयंती कब है? 23 या 24 अप्रैल, जाने पूजा की सही तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व के बारे में जानेंगे

बगलामुखी जयंती 2026 कब है Baglamukhi Jayanti 2026 Date Time Muhurat

व्रत त्यौहारव्रत त्यौहार समय
बगलामुखी जयंती24 अप्रैल 2026, दिन शुक्रवार
अष्टमी तिथि प्रारम्भ23 अप्रैल 2026, रात 08:49 मिनट पर
अष्टमी तिथि समाप्त24 अप्रैल 2026, रात 07:21 मिनट पर

बगलामुखी पूजा विधि Baglamukhi Jayanti Puja Vidhi

इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ पीले वस्त्र धारण करें। और व्रत का संकल्प ले, इसके बाद पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें। फिर पूजा स्थल पर एक लकड़ी की चौकी पर पिला वस्त्र बिछाकर उसपर माता बंगलामुखी की फ़ोटो या फिर मूर्ति स्थापित करे। फिर पूजा के लिए पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ जाए।

फिर पूजा के लिए माता को हल्दी, पीले फूल, पीले फल, पीले रंग की मिठाई और पीली मिठाई अर्पित करें। इसके बाद धूप, दीप और कपूर जलाएं। और “ॐ ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्वां कीलय बुद्धिम् विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा” मंत्र का जाप करें। यह जाप हल्दी की माला से 108 बार करें। इसके बाद बगलामुखी चालीसा और कथा का पाठ करें। और पूजा के अंत में माता बंगलामुखी की आरती करें। और प्रसाद के रूप में बेसन के लड्डू या अन्य पीली मिठाई अर्पित करें। 

बगलामुखी जयंती 2027

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