Anant Chaturdashi 2025: हिन्दू धर्म मे अनंत चतुर्दशी व्रत का विशेष महत्व होता है। हिंदी पंचांग के अनुसार अनंत चतुर्दशी प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। जिसे अनंत चौदस के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु का पूजन करने का विधान है। ऐसी मान्यता है कि अनंत चतुर्दशी के दिन अनंत भगवान की पूजा करके संकटों से रक्षा करने वाला अनंत रक्षासूत्र बाजू पर बाधा जाता है।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जब पाण्डव जुए में अपना सारा राज-पाट हारकर वन में कष्ट भोग रहे थे। तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन पांडवो को अनन्त चतुर्दशी का व्रत करने की सलाह दी थी। तब धर्मराज युधिष्ठिर ने अपने भाइयों तथा द्रौपदी के साथ पूरे विधि-विधान से अनंत चतुर्दशी का व्रत किया तथा अपने बाजू पर अनंत सूत्र धारण किया। ऐसी मान्यता है कि अनंत चतुर्दशी का व्रत रखने मात्रा से पांडवो के सब संकट कट गए।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार अनंत चतुर्दशी व्रत की शुरुआत महाभारत काल से हुई थी। यह भगवान विष्णु का दिन माना जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और अनंत फल की प्राप्ति के लिए किया जाता है। अनंत चतुर्दशी को अनंत चौदस के नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत में भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा होती है। इस दिन भगवान गणेश विसर्जन भी किया जाता है इसलिए इस पर्व का महत्व और भी बढ़ जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को 14 सालों तक लगातार करने से विष्णु लोक की प्राप्ति होती है।
ऐसी मान्यता है कि अनंत चतुर्दशी का व्रत रखने से हर दुःख दूर होते है और सुख की प्राप्ति होती है। और इस दिन विष्णु सहस्त्र नाम का पाठ करने से भक्तो की सारी मनोकामना की पूर्ति होती है। और अनंत चतुर्दशी के दिन किसी असहाय गरीब व्यक्ति की मदत करने से अनंत फल की प्राप्ति होती है। आइए जानते है साल 2025 में अनंत चतुर्दशी कब है? 06 या 07 सितम्बर, जानिए सही दिन व तारीख पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इस व्रत में किया जाने वाला उपाय
अनंत चतुर्दशी पूजा विधि
अनंत चतुर्दशी व्रत के दिन व्रती प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत का संकल्प लें और पूजा स्थल पर कलश स्थापना करें। इसके बाद कलश पर अष्टदल कमल की तरह बने बर्तन में कुशा से निर्मित अनंत की स्थापना करें या आप चाहें तो भगवान विष्णु की तस्वीर भी लगा सकते हैं।
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इसके बाद एक धागे को कुमकुम, केसर और हल्दी से रंगकर अनंत सूत्र तैयार करें। लेकिन इसमें चौदह गांठें लगी होनी चाहिए। इसके बाद इस अनंत को भगवान विष्णु की तस्वीर के सामने रख दे। इसके बाद भगवान विष्णु और अनंत सूत्र की षोडशोपचार विधि से पूजा शुरू करें। और नीचे दिए गए मंत्र का जाप करें।
अनंत संसार महासुमद्रे मग्रं समभ्युद्धर वासुदेव।
अनंतरूपे विनियोजयस्व ह्रानंतसूत्राय नमो नमस्ते।।
पूजन करने के बाद अनंत सूत्र को अपने बाजू में बांध ले। पुरुष अनंत सूत्र को दांये हाथ में बांधे और महिलाएं बांये हाथ में बांधे। इसके बाद ब्राह्मण को भोजन आदि कराकर दान दक्षिणा देकर ब्राह्मण को बिदा करे। इसके बाद सपरिवार सहित प्रसाद ग्रहण करे।
अनंत चतुर्दशी व्रत में क्या खाएं
धार्मिक मान्यता है कि अनंत चतुर्दशी का दिन बहुत शुभ माना जाता है क्योकि आज के ही दिन भगवान गणेश का विसर्जन भी किया जाता है। इसलिए आज के दिन नमक युक्त बनाया गया किसी भी प्रकार का भोजन नही खाना चाहिए। जो लोग ऐसा करते है भगवान गंर्ष उसपर क्रोधित हो जाते है। और उनके जीवन पर बुरा असर पड़ता है।
अनंत चतुर्दशी कब है 2025 Anant Chaturdashi 2025 Date Time
हिंदी पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी मनाई जाती है। जो 2025 में अंनत चतुर्दशी 06 सितंबर दिन शनिवार को मनाई जाएगी।
- चतुर्दशी तिथि शुरू होगी – 06 सितंबर 2025 को रात्रि 03 बजकर 15 मिनट पर
- चतुर्दशी तिथि ख़त्म होगी – 07 सितंबर 2025 को रात्रि 01 बजकर 40 मिनट पर
- पूजा का शुभ मुहूर्त है – 06 सितंबर 2026 को सुबह 05 बजकर 48 मिनट से लेकर सुबह 07 सितंबर की रात्रि 01 बजकर 41 मिनट तक रहेगा।
- पूजा की कुल अवधि :19 घंटे 53 मिनट