Vivah Panchami 2027 : विवाह पंचमी का विशेष महत्व बतलाया गया है। यह पर्व हिंदी पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष मार्गशीर्ष मास के शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी मनाई जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीराम और माता सीता का विवाह हुआ था। इसलिए विवाह पंचमी का यह पावन पर्व भगवान श्रीराम और माता सीता के विवाह की वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है। एक और मान्यता के अनुसार इस दिन तुलसी दास जी के द्वारा रचित रामचरित मानस भी पूरी की गई थी। विवाह पंचमी के दिन मंदिरों में भव्य आयोजन भी किया जाता है।
और मंदिरों को फूल मालाओं से सजाकर भजन कीर्तन, पूजा-पाठ, किया जाता है। तो कही पर भगवान श्रीराम माता सीता की शोभायात्रा भी निकाली जाती है। ऐसी मान्यता है कि विवाह पंचमी के दिन भगवान श्रीराम और माता सीता की पूजा करने से जीवन मे सुख-समृद्धि आती है। और सौभाग्य में तो बढ़ोतरी होती है। एसकव अलावा विवाह पंचमी के दिन पूजा पाठ करने से व्यक्ति के सभी कार्य सफल होते है। आइये जानते है साल 2027 में विवाह पंचमी कब है? 02 या 03 दिसम्बर, जानिए सही दिन व तारीख, पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, महत्व और इस दिन किये जाने वाले उपाय
विवाह पंचमी 2027 तारीख और समय Vivah Panchami 2027 Date Time
| व्रत त्यौहार के नाम | व्रत त्यौहार की तिथि |
|---|---|
| विवाह पंचमी कब है | 03 दिसम्बर २०२७, शुक्रवार |
| पंचमी तिथि प्रारम्भ | 02 दिसम्बर 2027, दोपहर 01:43 मिनट पर |
| पंचमी तिथि समाप्त | 03 दिसम्बर २०२7, शाम 04:43 मिनट पर |
विवाह पंचमी पूजा विधि
विवाह पंचमी के दिन व्रती प्रातःकाल उठकर दैनिक क्रिया से निपटकर स्नान आदि करके भगवान सूर्य देव को जल का अर्घ दे। इसके बाद भगवान श्रीराम माता सीता का ध्यान करें। इसके बाद एक लकड़ी की चौकी पर भगवान श्रीराम और माता सीता की मूर्ति स्थापित करे। इसके बाद गंगाजल छिड़ककर उसे शुद्ध करें और आसन लगाए। इसके बाद श्रीराम को पीला और माता सीता जी को लाल वस्त्र अर्पित करें।
इसके बाद माता सीता और भगवान श्रीराम के समकक्ष गाय के घी का दीप प्रज्वलित करके उनका तिलक करें। इसके बाद भगवान श्रीराम को फल-फूल नैवेद्य आदि अर्पित करते हुए पूजा सुरु करें। और पूजा करते समय बालकाण्ड में दिए गए विवाह प्रसंग का पाठ जरूर करना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि इस दिन रामचरितमानस का पाठ करने से घर में सुख-शांति आती है। और भगवान श्रीराम की कृपा परिवार पर सदा बनी रहती है।
विवाह पंचमी के खास उपाय Vivah Panchami Vrat Niyam
धार्मिक मान्यता है कि विवाह पंचमी के दिन भगवान विष्णु को दूध में केसर मिलकार अर्पित करने से और तुलसी के पत्ते और पंचामृत का भोग लगाने से जीवन सुखमय होता है।
विवाह पंचमी के दिन माता सीता को सुहाग की सभी सामग्री अर्पित करने के बाद किसी भी ब्राम्हड़ महिला को दान देने से विवाह सम्बंधित सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।
ऐसी मान्यता है कि जीव लोगो का विवाह नही ही रह है उन लोगो को भगवान श्रीराम और माता सीता को की विधवत पूजा करे और राम जानकी की पूजा का पाठ करे। ऐसा करने से जल्द ही विवाह के योग बनते है। तथा व्रत उपवास रखने से मनचाहा वर-वधु मिलता है।
धार्मिक मान्यता है कि विवाह पंचमी के दिन यदि शादी-सुदा जोड़े भगवान श्रीराम और माता सीता की पूजा एक साथ करते है। तो दोनों के प्रति संबंध मधुर होते हैं। और रामचरितमानस में लिखी राम सीता विवाह के प्रसंग को केवल पढ़ने मात्रा से ही वैवाहिक जीवन की कड़वाहट दूर होती है। और दांपत्य जीवन सदा खुशहाल रहता है।
विवाह पंचमी के दिन न करे ये काम
विवाह पंचमी के दिन तामसिक भोजन नही करना चाहिए जैसे – मांस, मछली, अंडा, और लहसुन, प्याज, मूली, वैगन आदि
विवाह पंचमी के दिन भुलकर भी विवाह पंचमी के दिन मांगलिक कार्य नही करना चाहिए।
विवाह पंचमी के दिन भूलकर भी किसी बड़े बुजुर्ग का अपमान नही करना चाहिए।
विवाह पंचमी के दिन किसी से भी झूठ नही बोलना चाहिए।
विवाह पंचमी के दिन इन मंत्रों का जाप करे
धार्मिक मान्यता है कि विवाह पंचमी के दिन इन मंत्रों का जाप करने से जीवन में चल रही सभी परेशानियों से छुटकारा मिलता है।
मनोकामना पूर्ति मन्त्र
उद्भव स्थिति संहारकारिणीं हारिणीम् । सर्वश्रेयस्करीं सीतां नतोडहं रामबल्लभाम् ।। श्रीराम सांनिध्यवशां-ज्जगदानन्ददायिनी उत्पत्ति स्थिति संहारकारिणीं सर्वदेहिनम् ।। श्री जानकी रामाभ्यां नमः ॥ जय श्री सीता राम ।। श्री सीताय नमः गायत्री मंत्र- ऊँ जनकनंदिन्यै विद्महे, भुमिजायै धीमहि। तन्नो सीता: प्रचोदयात्।
