Santan Saptami 2026: हिंदी पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की सप्तमी के दिन सन्तान सप्तमी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को मुक्ताभरण व्रत या ललिता सप्तमी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान सूर्यदेव और माता पार्वती और भगवान बोलेनाथ की पूजा करने का विधान है।
मान्यता है कि संतान सप्तमी का व्रत करने से संतान की प्राप्ति होती है और संतान दीर्घ आयु होती है। ऐसी मान्यता है कि संतान सप्तमी के दिन पुत्रवती महिलाएं अपने पुत्रों की मंगलकामना के लिए, उनकी सुख संमृद्धि के लिए, और उनकी उन्नति के लिए भगवान विष्णु, भगवान शिव व माता पार्वती का पूजन करती है।
तो वही कुछ महिलाएं पुत्र प्राप्ति के लिए भी संतान सप्तमी का व्रत भी रखती है। आइए जानते है साल 2026 में संतान सप्तमी व्रत कब है? 17 या 18 सितंबर, जानिए पूजा सही तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, और संतान सप्तमी दिन क्या करना चाहिए।
संतान सप्तमी पूजा विधि
संतान सप्तमी के दिन सभी व्रती महिलाएं सुबह जल्दी उठकर नित्यक्रिया से निवित्र होकर स्नान आदि करके साफ कपड़े पहनकर निराहार व्रत का संकल्प लेती है। इसके बाद भगवान शिव माता पार्वती के सामने हाथ जोड़कर पुत्र की प्रप्ति के लिए और उनकी मंगलकामना के लिए विनती करती है।
फिर पूजा के लिए घर में किसी जगह को साफ करके एक चौकी रखें। और उस चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान शिव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें. फिर पूजा के लिए कलश की स्थापना करे। और कलश के ऊपर स्वस्तिक का चिह्न बनाएं और उस पर आम के पत्ते आदि रखकर ऊपर से नारियल रखें। फिर गाय के घी का दीपक जलाएं।
इसके बाद भगवान शिवजी को मौली, अक्षत, चंदन, फूल, पान और सुपारी आदि चढ़ाए। और खीर-पुरी गुड़ से बने मीठे पुए का भोग लगाएं। फिर संतान सप्तमी व्रत की कथा सुनें। या फिर सुनाए और अंत में भगवान शिव व माता पार्वती की आरती करके पूजा का समापन करें। और पूजा करने के बाद भोजन ग्रहण कर सकते हैं।
संतान सप्तमी व्रत के दिन क्या करना चाहिये
हिन्दू धर्म मे संतान सप्तमी व्रत का विशेष महत्व है। इस व्रत में व्रती महिलाओं को कुछ विशेष बातो का हमेशा ध्यान रखना चाहिए जैसे-
- संतान सप्तमी के दिन सभी व्रती महिलाओं को पुआ का भोग लगाती है। और उसी को खाकर व्रत का पारण करती है। इसके अलावा सभी व्रती महिलाओं को कुछ भी नही खाना चाहिए।
- संतान सप्तमी के दिन सभी व्रती महिलाएं भगवान विष्णु, भगवान शिवजी और माता पार्वती का पूजन करती है। ऐसी मान्यता है कि जो भी किसी महिला को पुत्र नही है।
- उस महिला को संतान सप्तमी का निर्जला व्रत जरूर रखना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि संतान सप्तमी के दिन जो महिला भगवान भोलेनाथ को सूती डोरा अर्पित करके संतान सप्तमी की कथा सुनती है।
इसे भी पढ़ो – Vishwakarma Puja 2026: विश्वकर्मा पूजा कब और क्यो मनाई जाती है।
- और कथा समाप्त होने के बाद उस डोरे को अपने गले में पहनती है। तो उसे सन्तान सुख की प्राप्ति होती है। संतान सप्तमी के दिन जो भी व्रती महिला निर्जला व्रत रखकर शाम के समय गुड़ से बनी 7 सात पूड़ी का भोग लगाती है। तो उसके पुत्र की दीर्घायु होती है और उसके पुत्र की तरक्की होती है।
संतान सप्तमी के दिन जो भी महिला भगवान सूर्यदेव को जल का अर्घ देती है और भगवान शिव जी को 21 बेलपत्र और माता पार्वती सूखा नारियल चढ़ाती है। तो उस महिला को संतान की प्राप्ति होती है।
संतान सप्तमी कब है 2026 Santan Saptami 2026 Date
हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को संतान सप्तमी मनाई जाती है। जो साल 2026 में संतान सप्तमी 17 सितंबर दिन गुरुवार को मनाई जाएगी।
सप्तमी तिथि प्रारंभ होगी : 17 सितंबर 2026 को सुबह 10 बजकर 47 मिनट पर और सप्तमी तिथि समाप्त होगी : 18 सितंबर 2026 को दोपहर 1:00 बजे