Balram Jayanti 2026: हिन्दू धर्म मे बलराम जयंती पर्व का विशेष महत्व होता है। हिंदी पंचांग के अनुसार हर साल भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को बलराम जयंती मनाई जाती है। और बलराम जयंती को हलषष्ठी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। बलराम जयंती के दिन महिलाएं संतान की दिर्घायु और कुशलता की कामना के लिए महिलाएं यह व्रत रखती हैं। इस दिन भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था।
ऐसी मान्यता है कि बलरामजी का प्रधान शस्त्र हल तथा मूसल है इसलिए उन्हें हलधर भी कहा जाता है। इसे बलराम जन्मोत्सव, चंद्र षष्ठी, या ललई छठ के रुप में भी मनाया जाता है। हलषष्ठी व्रत में महिलायें अपने पुत्र व संतान की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं।
धार्मिक मान्यता हे कि इस व्रत के प्रभाव से भगवान बलराम जी व्रती महिला को संतान की दिर्घायु प्रदान करते है। और उन्हें सुख समृद्धि का वरदान देते है। इसके साथ इस दिन बलराम जन्मोत्सव होने के कारण खेती में उपयोग होने वाले उपकरणों की पूजा भी की जाती है। आइये जानते है साल 2026 में Balram Jayanti कब है? 02 या 03 सितंबर, जाने सही दिन व तारीख, पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इस दिन क्या करना चाहिए क्या नही
बलराम जयंती पूजन विधि Balram Jayanti Puja Vidhi
Balram Jayanti (हलषष्ठी) व्रत के दिन सुबह स्नान कर व्रत का संकल्प ले और पूजा-अर्चना के बाद पूरे दिन निराहार रहकर व्रत करना चाहिए। और शाम के समय पूजा-आरती के बाद फलाहार किया जाता है। और बलराम जयंती के दिन घर या बाहर कहीं भी दीवार पर भैस के गोबर से छठ माता का चित्र बनाकर भगवान गणेश और माता पार्वती की पूजा करना चाहिए। इसके बाद घर में ही गोबर से प्रतीक रूप में तालाब बनाकर, उसमें झरबेरी, पलाश और कांसी के पेड़ लगा ले और वहां पर बैठकर पूजा के बाद हलषष्ठी व्रत की कथा सुननी चाहिए।
बलराम जयंती व्रत के नियम Balram Jayanti Vrat Ke Niyam
प्रत्येक व्रत की तरह इस व्रत के भी कुछ नियम है जिनका पालन व्रती महिला को अवश्य करना चाहिये। हलषष्ठी के दिन माताओं को महुआ की दातुन करने और महुआ खाने की विशेष परंपरा है। इस दिन व्रत के दौरान अनाज का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसी मान्यता है की Balram Jayanti (हलषष्ठी) के व्रत में हल की पूजा की जाती है इसीलिए हल से जुती हुई अनाज और सब्जियों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
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बल्कि इस व्रत में वही चीजें खाई जाती हैं जो तालाब में पैदा होती हैं। जेसे तिन्नी का चावल, केमुआ का साग, पसही के चावल आदि। इसके अलावा इस व्रत में गाय के किसी भी उत्पाद जेैसे दूध, दही, गोबर आदि का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। बल्कि हलषष्ठी व्रत में भैस का दूध, दही आदि का प्रयोग किया जाता है।
बलराम जयंती 2026 कब है? Balaram Jayanti 2026 Date Time
हिंदी पंचांग के अनुसार बलराम जयंती हर साल भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की षष्ठी तिथि मनाई जाती है। जो साल 2026 में भाद्रपद मास की षष्ठि तिथि प्रारम्भ हो रही है। 02 सितंबर 2026 को सुबह 06 बजकर 12 मिनट पर और इस तिथि का समापन होगा। 03 सितंबर 2026 को सुबह 04 बजकर 25 मिनट पर। इसलिए इस साल बलराम जयन्ती 02 सितंबर दिन बुधवार को मनाई जाएगी।
Balram Jayanti के दिन क्या खाएं
- बलराम जयंती के दिन भूलकर भी हल से जोतकर उगाया गया अन्न नही खाना चाहिए।
- बलराम जयंती के दिन गाय का दूध, दही, और गाय के दूध से बनी हुई कोई चीज नही खानी चाहिए।
- और नाही इस सभी वस्तुओं का भोग लगाये।